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भारतीय शिक्षा बोर्ड का ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजन, 'मैकाले प्रभाव' को हटाकर भारतीय ज्ञान परंपरा को दी जाएगी प्राथमिकता....





 #कानपुर नगर


भारतीय शिक्षा बोर्ड का ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजन, 'मैकाले प्रभाव' को हटाकर भारतीय ज्ञान परंपरा को दी जाएगी प्राथमिकता....



*न्यूज इंडिया नेटवर्क कानपुर ब्यूरो | राजीव वर्मा*



कानपुर: बी.एन.एस.डी. शिक्षा निकेतन में आज एक ऐतिहासिक शैक्षिक सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें नगर के सैकड़ों विद्यालयों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों एवं शिक्षाविदों ने भाग लिया। यह सम्मेलन केंद्र सरकार द्वारा स्थापित 'भारतीय शिक्षा बोर्ड' द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य देश की शिक्षा प्रणाली में मौलिक परिवर्तन लाना है।


*भारतीय दृष्टिकोण का पुनर्जागरण*


इस नए बोर्ड की स्थापना का मुख्य लक्ष्य भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़कर एक समग्र शिक्षा प्रदान करना है, जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास कर सके। बोर्ड के पाठ्यक्रम निर्माण में देश के अग्रणी शिक्षाविदों एवं नीति-निर्माताओं ने सहयोग दिया है। यह बोर्ड नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप भारतीय दर्शन, मूल्यों और परंपराओं को शिक्षा में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। बोर्ड के संचालन का दायित्व केंद्र सरकार द्वारा पतंजलि योगपीठ को सौंपा गया है।


*"शिक्षा में पुनर्जागरण आवश्यक" : जिलाधिकारी*


मुख्य अतिथि एवं जिलाधिकारी श्री जे.पी. सिंह ने कहा, "शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्जागरण की आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने इस बोर्ड की स्थापना की है। इसका उद्देश्य आधुनिक शिक्षा को भारतीय ज्ञान परंपरा के फ्रेमवर्क में पढ़ाना है। मुझे इससे उच्च शैक्षिक गुणवत्ता की बहुत आशा है। यह पहल भारत को भविष्य में 'ज्ञान आधारित महाशक्ति' बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।"


*"190 वर्ष पुरानी मैकाले प्रणाली को बदलने का समय" : बोर्ड अध्यक्ष*


भारतीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह (आईएएस, सेवानिवृत्त) ने अपने मुख्य उद्बोधन में न्यूज़ इंडिया नेटवर्क को बताया कि, "हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली पिछले 190 वर्षों से मैकाले के ब्लूप्रिंट पर चल रही है, जिसका उद्देश्य मात्र नौकरी के लिए क्लर्क तैयार करना था। इसने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को सीमित कर दिया। इतिहास नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि नेतृत्व करने वाले बनाते हैं। भारतीय शिक्षा परंपरा चरित्र, मूल्य, ज्ञान और चेतना – इन चारों आयामों का विकास करती है। हमारा लक्ष्य ऐसे नागरिक तैयार करना है जो न सिर्फ 'वैश्विक' बल्कि 'सार्वभौमिक नागरिक' बन सकें।"


*'आत्मरक्षा विज्ञान' बना नया विषय*


भारतीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) पुष्कल विजय द्विवेदी ने बताया, "वर्तमान शिक्षा प्रणाली बच्चों को पेशेवर तो बना रही है, लेकिन माता-पिता अपने बच्चों को खो रहे हैं, क्योंकि यह व्यक्तित्व का समग्र विकास नहीं कर पाती। हमारा बोर्ड बहुआयामी विकास पर जोर दे रहा है। खास बात यह है कि हमने पहली बार 'आत्मरक्षा विज्ञान' (Self Defence Science) को एक विषय के रूप में शामिल किया है, जो पारंपरिक शस्त्र शिक्षा और आधुनिक सैन्य प्रशिक्षण दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा।"


*शिक्षकों और प्रबंधकों से सहयोग की अपील*


जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) श्री संतोष रॉय ने सभी शिक्षाविदों, प्रधानाचार्यों और प्रबंधकों से आह्वान किया कि वे शिक्षा सुधार के लिए सरकार के प्रयासों का पूरे जोश और निष्ठा से साथ दें।


इस अवसर पर शहर के कई वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल को भारतीय शिक्षा व्यवस्था में "पहले आधुनिक पुनर्जागरण की दिशा में एक मील का पत्थर" बताया।

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