भगवान गणेश से सीखें जीवन जीने और मैनेजमेंट की कला, बनिए अपने जीवन के स्वयं विघ्नहर्ता ...
आज हम बात करेंगे उस देवता की, जिनकी पूजा हर शुभ कार्य से पहले होती है। जिनका नाम लेते ही हर विघ्न मिट जाता है — श्री गणेश जी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके प्रत्येक अंग में छिपा है जीवन जीने और मैनेजमेंट का अद्भुत संदेश? आज News India Network आपको बताएगा कि कैसे गणेश जी के स्वरूप से हम सीख सकते हैं जीवन प्रबंधन की कला और बन सकते हैं अपने ही जीवन के विघ्नहर्ता।
रिपोर्ट:भगवान गणेश का बड़ा सिर हमें यह सिखाता है कि हमेशा बड़ा सोचें, उच्च विचार रखें। बड़ा सिर जागरूकता, ध्यान, विचारशीलता और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है।उनका मस्तक यह बताता है कि संसार को सम्मानभरी दृष्टि से देखें। जैसे हाथी हर वस्तु को दुगुना बड़ा देखता है, वैसे ही हमें हर व्यक्ति और परिस्थिति में अच्छाई को बड़े दृष्टिकोण से देखना चाहिए।छोटे पैर सिखाते हैं संतुलन का महत्व — मैनेजमेंट में स्थिरता और संतुलित निर्णय किसी भी बड़ी सफलता की कुंजी होती है।गणेश जी की बड़ी नाक हमें सिखाती है परिस्थिति को पहले से भांपने की कला। यानी आने वाले हालातों की गंध सूंघना और पहले से तैयार रहना।लंबोदर यानी बड़ा पेट प्रतीक है सहनशीलता का। इसका संदेश है – हर बात को पचाइए, किसी की निंदा या चुगली मत कीजिए।टूटा दांत त्याग का प्रतीक है — गणेश जी ने अपने दांत से महाभारत लिखी। यानी जब बात समाज या दूसरों के भले की हो, तो हमें भी अपनी सुविधा छोड़ने से पीछे नहीं हटना चाहिए।उनकी छोटी आँखें पैनी नजर का संकेत देती हैं। यह सिखाती हैं कि हर वस्तु को गहराई से देखें, सतही निर्णय न लें।बड़े कान और छोटा मुख हमें सिखाते हैं सुनने और सोच-समझ कर बोलने की महत्ता। गणेश जी सबकी बातें ध्यान से सुनते हैं, पर बोलते हैं केवल सार्थक और सीमित।एक हाथ में मोदक और दूसरे में आशीर्वाद हमें सिखाता है कि मीठा बोलें और सबका भला सोचें।चार हाथ चार पुरुषार्थों — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक हैं, जो हमें जीवन के हर निर्णय में संतुलन रखने की प्रेरणा देते हैं।और अब बात करें उनके वाहन—चूहे की। भारी शरीर वाले गणेश जी का चूहे पर सवार होना सिखाता है कि चाहे आप कितने भी ऊंचे क्यों न पहुँच जाएं, आपको सदैव विनम्र रहना चाहिए और जमीन से जुड़े रहना चाहिए।चूहा चीजों को कुतरता है, और गणेश जी उसे नियंत्रण में रखते हैं — अर्थात नकारात्मक विचार, आलोचना या ईर्ष्या जैसी चीजों पर नियंत्रण रखें।गणेश जी विवेक के देवता हैं। उनका यह रूप सिखाता है कि विवेक बिना विचार के निष्प्रभावी होता है, और विचार के लिए जरूरी है मन की गति को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित रखना।मैनेजमेंट मैसेज:
गणेश जी का स्वरूप हमें बताता है कि जीवन में विश्लेषण, संश्लेषण, कार्यान्वयन, नवाचार और लचीलापन — ये पांच गुण सफलता के लिए आवश्यक हैं।
उनके चार हाथों में लिए अस्त्र-शस्त्र और प्रतीक हमें यह सिखाते हैं कि समस्या का विश्लेषण करें, योजना बनाएं, अनुशासन रखें, और हर विपरीत स्थिति को अवसर में बदलें।विघ्नहर्ता का संदेश:
गणेश जी हमें यह भी बताते हैं कि बाधाएं जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन सही विचार और विवेक से हम हर विघ्न को पार कर सकते हैं।
वे वेदों के ज्ञाता हैं, जिन्हें ब्रह्मणस्पति कहा गया है — जो धर्म और ज्ञान के मार्गदर्शक हैं। उनका संदेश है — अपने धर्म का पालन करें, सत्य और विवेक से काम लें।सीख:
गणेश जी के स्वरूप में छिपा है जीवन का पूरा दर्शन। दूसरों को सम्मान देने की कला, उच्च विचार रखने की कला, हर परिस्थिति में समभाव रखने की कला, विनम्रता और विवेकपूर्ण निर्णय — यही वे संदेश हैं जो जीवन के हर विघ्न को हराने की शक्ति देते हैं।
इसीलिए गणेश जी को कहा गया है — विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति और अग्रपूज्य।एंकर एंडिंग:
तो अगली बार जब आप गणेश जी की प्रतिमा देखें, तो बस सिर झुकाकर विनती जरूर करें — हे विघ्नहर्ता, हमें भी वह विवेक, संतुलन और दूरदर्शिता दें, जिससे हम अपने जीवन के हर बाधा को अवसर में बदल सकें।
News India Network, के साथ...
जय गणेश।

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