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सामाजिक संगठनों ने दिया ज्ञापन, झाड़-फूंक व अंधविश्वास पर कानून लागू करने की उठाई मांग....




 #कानपुर नगर


*सामाजिक संगठनों ने दिया ज्ञापन, झाड़-फूंक व अंधविश्वास पर कानून लागू करने की उठाई मांग*



*कानपुर से न्यूज़ इंडिया नेटवर्क ब्यूरो राजीव वर्मा की रिपोर्ट*



कानपुर सामाजिक संगठनों का संयुक्त मंच ने आज जिलाधिकारी कानपुर नगर को संबोधित एक ज्ञापन सौंपकर अंधविश्वास, झाड़-फूंक और तथाकथित ढोंगी बाबाओं के खिलाफ कड़ा कानून लागू करने की मांग उठाई है । ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि झाड़-फूंक, टोटका व अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं और गरीब वर्ग के लोगों पर शारीरिक व मानसिक शोषण और हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिन्हें रोकना बेहद जरूरी है।


संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र में लागू एंटी सुपरस्टिशन एंड ब्लैक मैजिक एक्ट 2013 की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी कानून बनाया जाना चाहिए । इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा 1954 में बने मैजिक रेमेडीज एक्ट को सख्ती से लागू करने की भी मांग की गई। पूर्व सांसद एवं दलित शोषण मुक्ति मंच की प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हाल ही में हुई घटनाओं में बागेश्वर धाम की गाड़ियों का प्रयोग महिलाओं के अंजान जगहों पर लाने लेजाने के लिए किया जा रहा है, महिलाओं को स्वयं ही नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है, दो ईसाई नन के साथ जा रही महिलाओं को धर्म परिवर्तन के नाम पर उनका उत्पीड़न किया गया उन पर आपराधिक मुकदमे लगा दिए गए । ऐसा ही मामला दलित प्रोफेसर प्रो. डॉ. वकील अहमद लखनऊ विश्वविद्यालय के ऊपर भी हुआ जिसमें उनके ऊपर झूठे मुकदमे लगा दिए गए । यह सब बंद होना चाहिए अन्यथा हमे मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा । 


ज्ञापन में प्रमुख मांगें इस प्रकार रखी गईं—


1. प्रो. डॉ. वकील अहमद लखनऊ विश्वविद्यालय के ऊपर झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।



2. पूरे देश में मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 लागू किया जाए।



3. झाड़-फूंक, अंधविश्वास और बाबाओं की अवैध गतिविधियों पर प्रतिबंध लगे।



4. उत्तर प्रदेश में अंधविश्वास विरोधी कानून पारित किया जाए।



5. झाड़-फूंक व अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं और दलित वर्ग पर हो रही हिंसा रोकने के लिए विशेष कानून लागू किया जाए।



इस अवसर पर सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। मंच के संयोजक गोविंद नारायण ने कहा कि यदि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।



बाइट - सुभाषिनी अली (पूर्व सांसद एवं दलित शोषण मुक्ति मंच की प्रदेश उपाध्यक्ष)

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