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संयुक्त चिकित्सालय की बड़ी लापरवाही: बी पॉजिटिव मरीज को बताया बी नेगेटिव, प्रसूता की जान बाल-बाल बची....


 #कानपुर नगर



*संयुक्त चिकित्सालय की बड़ी लापरवाही: बी पॉजिटिव मरीज को बताया बी नेगेटिव, प्रसूता की जान बाल-बाल बची*



*न्यूज इंडिया नेटवर्क ब्यूरो राजीव वर्मा की रिपोर्ट*



मिल्कीपुर (अयोध्या)।

संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज की पैथोलॉजी में बड़ी लापरवाही सामने आई है। खून की जांच रिपोर्ट में प्रसव पीड़ित महिला का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव होने के बावजूद उसे बी नेगेटिव बता दिया गया। इस गंभीर भूल के कारण महिला की जान पर बन आई, हालांकि केजीएमयू लखनऊ के ब्लड बैंक में दोबारा जांच से सही ब्लड ग्रुप की पुष्टि हो गई और समय रहते डॉक्टरों की तत्परता से उसकी जान बच सकी।


मामला क्या है


जानकारी के अनुसार खंडासा थाना क्षेत्र के रायपट्टी गांव निवासी आशीष कुमार सिंह अपनी पत्नी नंदिनी सिंह का इलाज संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज से करा रहे थे। 1 अगस्त को अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट की ओर से की गई जांच में रिपोर्ट में नंदिनी का ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव दर्शा दिया गया।


कुछ दिन बाद प्रसव पीड़ा बढ़ने पर संयुक्त चिकित्सालय के डॉक्टरों ने महिला को मेडिकल कॉलेज अयोध्या रेफर किया। वहां भी डॉक्टरों ने कुमारगंज की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए बिना दोबारा जांच कराए महिला को लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। इस बीच महिला दर्द से कराहती रही।


ब्लड बैंक की जांच में खुली पोल


लखनऊ मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर डॉक्टरों ने तत्काल प्रसव कराने की तैयारी की और ब्लड बैंक से दो यूनिट ब्लड की मांग की। ब्लड उपलब्ध कराने से पहले जब महिला का ग्रुप जांचा गया तो सच्चाई सामने आई। ब्लड बैंक रिपोर्ट में महिला का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव निकला। रिपोर्ट में गड़बड़ी सामने आने के बाद डॉक्टरों और परिवारजनों में हड़कंप मच गया। हालांकि डॉक्टरों ने समय रहते सुरक्षित प्रसव कराया और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।


शिकायत और अस्पताल का रवैया


घर लौटने के बाद सोमवार को पीड़ित आशीष कुमार सिंह ने पूरा घटनाक्रम लिखित शिकायत के रूप में संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज के सीएमएस को सौंपा और जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। सीएमएस की ओर से कार्रवाई के आश्वासन का भरोसा जरूर दिलाया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।


पैथोलॉजिस्ट ने झाड़ा पल्ला


इस पूरे मामले पर पैथोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि रिपोर्ट उनके संज्ञान में नहीं आई थी। अस्पताल के अन्य दो कर्मचारी भी रिपोर्ट तैयार करते हैं, संभव है कि गलती उनसे हुई हो।


न्यायालय जाने की तैयारी


पीड़ित पति आशीष कुमार का कहना है कि पत्नी और बच्चे की जान भगवान की कृपा व केजीएमयू के डॉक्टरों की तत्परता से बच पाई। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई न होने से वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और जिम्मेदारों को सजा दिलवाकर रहेंगे।


बड़ा सवाल


अस्पताल प्रशासन की इस घोर लापरवाही ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते ब्लड बैंक की जांच न होती तो यह गलती प्रसूता की जान भी ले सकती थी। अब देखना यह है कि संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन दोषियों के खिलाफ क्या सख्त कदम उठाता है।

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