#कानपुर नगर से बड़ी खबर...
*सपा की महिला विंग का 'डैमेज कंट्रोल' एक्शन कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन, कहा नारी सम्मान बरकरार रहना चाहिए*
*क्या सपा के ज्ञापन मात्र से हो जाएगा नारी सम्मान सुरक्षित?*
कानपुर सांसद डिंपल यादव पर मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर दो दिन की खामोशी के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी की महिला विंग ने मंगलवार को कानपुर पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपते हुए मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
महिला विंग की सदस्याओं ने स्पष्ट कहा कि यह केवल पार्टी का मामला नहीं, बल्कि नारी सम्मान से जुड़ा मुद्दा है और सपा महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह की अपमानजनक भाषा कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब दो दिन से सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध हो रहा था, तब समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की जुबान क्यों सिल गई थी?
मौलाना साजिद रशीदी ने मस्जिद में साड़ी पहनकर पहुंचीं सांसद डिम्पल यादव की पीठ दिखने को लेकर शर्मनाक टिप्पणी की थी, जिसे लेकर एनडीए खेमे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। इसके बावजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने न तो मौलाना की आलोचना की और न ही अपनी पत्नी के पक्ष में कोई सशक्त बयान दिया।
वहीं जब संसद के बाहर पत्रकारों ने अखिलेश यादव से इस विषय पर सवाल किया तो उन्होंने बात को घुमाते हुए जवाब दिया – "आप बताए संसद में क्या पहन कर आना चाहिए?"
क्या यह जवाब एक महिला सांसद के सम्मान का है या यह संकेत है कि सपा नेतृत्व अब भी वोट बैंक की राजनीति में उलझा है?
समाजवादी पार्टी की महिला विंग द्वारा ज्ञापन सौंपना सराहनीय है, लेकिन दो दिन बाद की यह प्रतिक्रिया कहीं 'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश तो नहीं? क्या पार्टी महिला विरोधी टिप्पणियों पर मौलाना के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगी, या केवल बयानबाजी तक ही सीमित रहेगी?
नारी सम्मान की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी को यह तय करना होगा कि वह वाकई महिलाओं के सम्मान के साथ खड़ी है या केवल अवसर देखकर खामोशी ओढ़ लेने वाली पार्टी बन गई है।
फिलहाल जनता पूछ रही है – "डिम्पल यादव पर मौलाना की टिप्पणी पर सपा प्रमुख की चुप्पी आखिर किसके डर से है?"
बाइट - अर्चना रावल (सपा महिला नेता)
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